आंखो मे अंशु और मन मे है आशा !
क़रता है मेहनत और खाता है झांषा !!
कैसे बताऊ क्या है इनकी परिभाषा!
करता है मेहनत और खाता है झांषा!!
अपने नेताओ से है मुझको निराशा!
सोचो जरा,, क्या है उनकी अभिलाषा!!
देता है उनको हर कोई दिलाषा !
नही सोचता वो उन्हिंका है खाता!!
कर दे अगर बंद देना ,'वो दाता !
कैसे जियेंगे हम सोचो मेरे भ्राता!!
आंखो मे आशु ................ !
करता है मेहनत ....................!!
कुछ तो करो हे ,मेरे विधाता !
नही रखो तुम उनकी जमीनों को प्यासा!!
सच यदि कहूँ ,बस तुम्ही हो उनकी एक आशा!
कर दो उनपर दया, हे मेरे विधाता !!
आंखो मे अंशु और मन मे है आशा!
करता है मेहनत और खाता है झांसा!!
these lines are dedicated to farmers ..........
It is absolutely true that words are not enough express Once Feeling but they do provide the skeleton of it......LETS SEE HOW IT WORKS FOR ME 'Udata ja re panchii! basera ki talash me!! bhagata ja re man! sathi ki talash me!!'
Monday, April 7, 2008
me and my feelings......
निहारते हुए ये आँखे हुई है नम!
कभी तू एक झलक दिखालाजा सनम !!
कब तक यूँही तडपायेगा हमको!
कब तू गले से लगायेगा हमको!!
पता है तुझे तेरे बिन जी न सकेंगे!
समुंदर का पानी पी न सकेंगे!!
फिर क्यों दे रहा है हमको ये सजा!
तू बता दे आज हमको क्या है तेरी रजा!!
निहारते हुए.........
कभी टू एक झलक.....
व्याकुल तपन से तुझी को पुकारे !
ये बंजर पड़ी है अब तेरे सहारे!!
कि कभी तू तराश खायेगा इसपर!
उसी दिन बरस जाएगा तू इस पर !!
फ़िर खिल उठेगी ये फूलों की वादी!
हरा होगा दमन भरी होगी छाती!!
उसी दिन का मुझको भी है इंतजार !
धारा पर जिस दिन आएगी ये बाहर!!
निहारते हुए ये आँखे हुई है नम!
कभी तू एक झलक दिखालाजा सनम!!
this poem is dedicated to a..................!!
कभी तू एक झलक दिखालाजा सनम !!
कब तक यूँही तडपायेगा हमको!
कब तू गले से लगायेगा हमको!!
पता है तुझे तेरे बिन जी न सकेंगे!
समुंदर का पानी पी न सकेंगे!!
फिर क्यों दे रहा है हमको ये सजा!
तू बता दे आज हमको क्या है तेरी रजा!!
निहारते हुए.........
कभी टू एक झलक.....
व्याकुल तपन से तुझी को पुकारे !
ये बंजर पड़ी है अब तेरे सहारे!!
कि कभी तू तराश खायेगा इसपर!
उसी दिन बरस जाएगा तू इस पर !!
फ़िर खिल उठेगी ये फूलों की वादी!
हरा होगा दमन भरी होगी छाती!!
उसी दिन का मुझको भी है इंतजार !
धारा पर जिस दिन आएगी ये बाहर!!
निहारते हुए ये आँखे हुई है नम!
कभी तू एक झलक दिखालाजा सनम!!
this poem is dedicated to a..................!!
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