Friday, May 9, 2008

dost se bichhadane ka gum.....

दिल का समुन्दर है गहरा बारा !
तुम इससे बच के रहना जरा!!
कहीं दूर तुमको ये लेजयेगा !
हमे तुमको दुन्धना पड़ जाएगा!!
अश्को का लेंगे सहारा तब हम !
यूँही वक्त अब तोः गुजरेंगे हम!!

दिल का समुन्दर है गहरा बारा !
तुम इससे बच के रहना जरा!!
वक्त इस रफ्तार से निकल जाएगा !
देखते -२ जाने का वक्त आ जाएगा!!
ये सोचकर दिल धड़कने लगा!
बगावत कराने को दिल मचलने लगा!!
तुम्हारी याद फ़िर से आने लगी!
आँखे आशुओ से दुब्दाबने लगी!!

दिल का समुन्दर है गहरा बारा !
तुम इससे बचा के रहना जरा!!


don't feel it.........just enjoy it.....

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